कृषि विज्ञान केन्द्र, बुरहानपुर

( भा.कृ.अनु.प. . कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान )
सांडस कला, बुरहानपुर (म0प्र0) 450221
(लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर सोशल नेशनल मिशन, बुरहानपुर)

कृषक उत्पादक संगठन/कम्पनी (FPO/FPC)

     कृषक उत्पादक संगठन, कंपनी अधिनियम-1956 के ‘‘भाग-9 क’’ (यथा संषोधित 2013) अथवा उ0प्र0 राज्य सहकारी समिति अधिनियम 1965 (यथा संषोधित) के अधीन पंजीकृत ऐसा व्यवसायिक निकाय है, जिसमें कृषक/प्राथमिक उत्पादक अथवा उनके समूह संगठित होकर कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों हेतु आवश्यक निवेषों की व्यवस्था, व नवीनत तकनीकी प्रयोग से लेकर अपने उत्पादों के भण्डारण, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन एवं विपणन तक की समस्त व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन एवं अपने सदस्य कृषकों को विभिन्न प्रकार की सेवायें उपलब्ध कराने का कार्य करते है।
     कृषक उत्पादक संगठनों को उनके उत्पादों के प्रकार एवं इनकी मांग/पूर्ति की संभावनाओं के आधार पर क्लस्टर के रूप में गठित किया जाता है, जो कृषक/प्राथमिक उत्पादकों के आर्थिक एवं सामाजिक उन्नयन में सहायक सिद्ध हो । इन संस्थागत संगठनों के माध्यम से राज्य / केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ आसानी से संगठित कृषक समूहो तक पहुचाया जा सकेगा तथा उनका क्षमतावर्धन कर उत्पादन एवं विपणन मे गुणात्मक सुधार प्राप्त किया जा सकेगा ।

परिकल्पना (Vision)


     जनपद के कृषकों, विशेषकर लघु एवं सीमान्त श्रेणी, को संगठित करके कम लागत में गुणवत्तायुक्त कृषि निवेशों की व्यवस्था व उपयुक्त नवीनतम तकनीकी को अपनाकर उच्च उत्पादन, उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन एवं बेहतर मूल्य प्राप्त करने हेतु समुचित विपणन व्यवस्था कर कृषकों की आय में सतत् वृद्धि करना।

संकल्प (Mission)


  1. आर्थिक रूप से सक्षम, लोकतान्त्रिक, स्वशासी कृषक उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देना ।
  2. किसानों को कृषक उत्पादक संगठनों के माध्यम से उचित मूल्य पर गुणवत्तायुक्त कृषि निवेश, नवीनतम तकनीकी ज्ञान, वित्तीय संसाधन एवं अवस्थापना सुविधायें उपलब्ध कराना।
  3. कृषक उत्पादक संगठनों को प्रशिक्षण/क्षमतावर्धन, निवेश एवं विपणन सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए विशेषज्ञ सरकारी, सहकारी एवं निजी संस्थाओं से जोड़ना ।
  4. कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के उत्पादों को समुचित भण्डारण, प्रसंस्करण व मूल्य संवर्द्धन कर बेहतर मूल्य दिलाना ।
  5. कृषि उत्पादों के विपणन में आ रही बाधाओं का समुचित निदान करना ।
  6. कृषक उत्पादक संगठनों को आर्थिक एवं तकनीकी रूप से सक्षम बनाना जिससे वे स्वावलम्बी बनकर स्वयं के संसाधनों से अपनी व्यवसायिक गतिविधियों को सुचारू रूप से सम्पादित करते रहे ।

कृषक उत्पादक संगठन का कार्य क्षेत्र


     कृषक उत्पादक संगठन अपने कार्यक्षेत्र में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के विकास एवं इसमें आ रही समस्याओं / बाधाओं के निराकरण हेतु निम्न क्षेत्रों मे कार्य कर सकते हैः-

  1. गुणवत्तायुक्त कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों हेतु निवेषों की उचित मूल्य पर सामयिक उपलब्धता ।
  2. प्राथमिक उत्पाद का उत्पादन, कटाई, कटाई उपरान्त प्रबन्धन, विधायन, ग्रेडिंग, पूलिंग, हैण्डलिंग, विपणन, विक्रय एवं निर्यात अथवा उनके लाभ हेतु सामग्री व सेवाओं का आयात ।
  3. कृषि विविधीकरण के माध्यम से किसी एक क्षेत्र यथा फसल विषेश, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, सब्जी उत्पादन, फलोत्पादन, पुष्पोत्पादन आदि में विशिष्ट व्यवसायिक उत्पादन का कार्य ।
  4. प्राथमिक उत्पादों का प्रसंस्करण यथा परिरक्षण, सुखाना, आसवन करना, पेय पदार्थ तैयार करना आदि के साथ कैंनिंग एवं पैकेजिंग करना।
  5. सदस्यों को व्यवसाय हेतु प्रयुक्त हेाने वाले मशीनरी, उपकरणों एवं उपभोज्य (कन्ज्यूमेबिल) का निर्माण, बिक्री एवं आपूर्ति करना।
  6. कृषक सदस्यों के हितो को प्रोत्साहित करने हेतु तकनीकी सेवाएं, परामर्शी सेवाएं, प्रशिक्षण एवं वित्तीय सेवाए उपलब्ध कराना ।
  7. प्राथमिक उत्पाद के उत्पादन हेतु आवश्यक भूमि व जल संसाधनों के पुनरोद्धार एवं उनका समुचित उपयोग व संरक्षण एवं संप्रेषण करना ।
  8. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मानव संसाधन हेतु प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन हेतु लघु, कुटीर उद्योगो एवं अवस्थपना सुविधाओं का विकास ।